एक किले की सैर हिंदी निबंध Visit to Fort Essay in Hindi

Visit to Fort Essay in Hindi: पिछली दीपावली की छुट्टियों में मैंने अपने कुछ मित्रों के साथ पर्यटन की योजना बनाई। इस बार हमने किसी ऐतिहासिक स्थान को देखने का निश्चय किया और रायगढ़ चलने की तैयारी की।

एक किले की सैर हिंदी निबंध - Visit to Fort Essay in Hindi

एक किले की सैर हिंदी निबंध – Visit to Fort Essay in Hindi

ऐतिहासिक परिचय

रायगढ़ हमारे इतिहास का गौरव है। लगभग तीन सौ वर्ष पहले यहाँ शिवाजी की राजधानी थी। यहीं वे हिंदू साम्राज्य के छत्रपति बने और यहीं उन्होंने एक श्रेष्ठ शासक का यश पाया । पर्यटन के लिए इससे अधिक अच्छा स्थान और कौन-सा हो सकता था?

किले का बाहरी दृश्य

पूना से हम एस. टी. बस द्वारा रायगढ़ पहुँचे । यह एक पहाड़ी इलाका है। चारों तरफ वीरान है । आसपास कुछ गाँव बसे हैं। वर्षा के बाद का दृश्य बड़ा सुंदर लगता था। चारों तरफ हरियाली दिखाई दे रही थी । हरेभरे घने वृक्षों के कारण जंगल का-सा आभास हो रहा था। जब हम किले के पास पहुँचे तो हमारी खुशी का ठिकाना न रहा । काले पत्थरों की एक शानदार लेकिन टूटी-फूटी इमारत सामने खड़ी थी। महाराष्ट्र सरकार ने किले की मरम्मत कराई है, लेकिन ऐसे स्थानों पर काल का प्रभाव तो पड़ता ही है। किले की देखरेख के लिए वहाँ एक स्थायी कार्यालय भी खोला गया है।

किले का भीतरी भाग

उस समय वहाँ बहुत-से देशी-विदेशी लोग पर्यटन के लिए आए हुए थे । फाटक खुलने पर हम सब किले के भीतर दाखिल हुए। सामने एक बड़ा हॉल दिखाई दिया। गाइड ने बताया कि वहाँ शिवाजी का दरबार लगता था। हॉल के पास ही तोप-घर था, जहाँ बड़ी-बड़ी तोपें रखी जाती थीं। उसके आस-पास बड़े-बड़े कमरे थे, जो अब खंडहर बन चुके हैं। कहते हैं, इनमें शिवाजी के सरदार, मंत्री आदि रहते थे। आगे चलने पर घास से घिरा हुआ एक बड़ा मैदान दिखाई पड़ा। पता चला कि शिवाजी के समय यहाँ एक विशाल उद्यान था। उसी के पास कुछ ऊँचाई पर कई कमरे थे। यह शिवाजी के महल का भाग था। गाईड ने वह जगह भी हमें बताई जहाँ शिवाजी का कमरा था। टूटी-फूटी और गिरी हुई दीवारें प्राचीन भव्यता का आभास दे रही थीं। उनके बीच हरी-हरी घास उगी हुई थी। हमारा मन उस काल में खो गया, जब, सचमुच, रायगढ़ में शिवाजी महाराज रहते थे। लगभग दो घंटे बाद हम किले के बाहर निकल आए।

विशेषताएँ

रायगढ़ का किला काफी ऊँचाई पर है । ऐतिहासिक यादगार के रूप में वह आज भी सुरक्षित है। उसकी छतें जरूर काल के मुख में गायब हो गई हैं, लेकीन दिवारें आज भी काल से टक्कर लेती हुई खड़ी हैं।

वापसी

रायगढ़ को देखकर हम बहुत प्रभावित हुए। शिवाजी महाराज की गौरवगाथा को याद करते हुए हम वहाँ से लौट आए।

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