गाँव के कुएँ का दृश्य हिंदी निबंध Scenes at a Village Well Essay in Hindi

Scenes at a Village Well Essay in Hindi: हरेभरे लहलहाते खेत, खुशनुमा बगीचे, मनोहर फुलवारियाँ और घरों के छप्परों पर लदी बेलें किस गाँव की शोभा नहीं बढ़ाती ? किंतु इन सबसे अतिरिक्त गाँव के जीवन में कुएँ का भी एक विशेष महत्त्व है। सचमुच, वह गाँव में इस प्रकार सुंदर लगता है, जैसे अँगूठी में नग! इसके दामन में न जाने कितनी खुशियाँ, कितने गम भरे हुए  हैं!

गाँव के कुएँ का दृश्य पर निबंध Scenes at a Village Well Essay in Hindi

गाँव के कुएँ का दृश्य हिंदी निबंध Scenes at a Village Well Essay in Hindi

प्रातःकालीन दृश्य

सुबह हुई । गाँव जगा। सबके साथ कुआँ भी जगा। चारों तरफ धूप बिखर गई। आसपास का सारा वातावरण सजीव हो उठा। बाल्टियाँ, लोटे और घड़े लेकर लोग आने लगे। कुएँ पर लगी हुई घिरनी घूमने लगी।

पनिहारिनों का मिलन

पहले तो कुएँ पर बूदों की बारी आई। थोड़ी-बहुत चर्चा के बाद बूढ़े बिदा हुए। इसके बाद कुआँ गाँव की गोरियों का मिलनस्थान बना। कोई एक, तो कोई दो घड़े लेकर बड़े उत्साह से कुएँ पर आ पहुँची । एक ओर सूरज की सुनहरी किरणों से कुएँ के आसपास की हरी हरी घास चमक उठी, तो दूसरी ओर पनघट पर इन ग्राम-वधुओं की सुख-दुखभरी बातें, हँसी-मजाक, चुहल शुरू हुई। कोई अपने बच्चे की बीमारी का हाल कह रही है, तो कोई अपने पति के कठोर व्यवहार पर आँसू बहा रही है। सबकी बातों में रस है, रंग है, चुटकियाँ है, गम है और खुशी भी।

पनिहारिनों की बिदाई

पानी भरने के बहाने हँसी-ठठोली में इन पनहारिनों को बहुत देर हो गई। कन्याओं को माँ के और वधुओं को सास के गुस्से की याद आई। जल्दी जल्दी सभी ने घड़े और मटके सँभाले । एक को सिर पर रखा, दूसरे को कमर पर । ठुमक ठुमक करती हुई सभी चल पड़ी। यदि गाँव में कुआँ न होता तो सहेलियों से मिलने का यह आनंद इन्हें कहाँ नसीब होता?

दोपहर के समय कुएँ का वातावरण

दोपहर के समय कुएँ पर पुरुष अधिक रहते हैं। इनमें अधिकतर युवक होते हैं । बाल्टियों से पानी निकाला जाता है। लोटों में भर-भरकर ये नहाते हैं, जिससे कुएँ के आसपास की जमीन कीचड़भरी हो जाती है। हर हर महादेव’ की ध्वनि से कुएँ के आसपास का वातावरण गूंज उठता है। कपड़े धोने की फटाफट की आवाज भी दूर-दूर तक सुनाई देती थी। दोपहर के बाद कुआँ समाधि में लीन योगी की भाँति शांत हो जाता है । कोई प्यासा प्राणी या यात्री ही उसकी समाधि को भंग करता है। शाम को कुछ देर के लिए फिर से कुएँ पर चहल पहल नजर आती है।

सामाजिक विषमता और महत्व

कुएँ पर सामाजिक विषमता बहुत दिखाई पड़ती है। छुआछूत के प्रश्न को लेकर लड़ाई-झगड़े भी होते हैं । कुएँ के आसपास की गंदगी भी खटकनेवाली वस्तु है। फिर भी यह सच है कि कुआँ गाँव का जीवन है। यदि सामाजिक विषमता और अस्वच्छता दूर को जाए तो कुआँ गाँव की एकता का प्रतीक बन सकता है। सचमुच, कुआँ गाँव की शोभा है, गाँव का हृदय है।

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