सागर के किनारे एक शाम हिंदी निबंध Evening at the Seashore Essay in Hindi

Evening at the Seashore Essay in Hindi: शाम को किसी प्राकृतिक स्थान की सैर करने का मुझे शौक है। हरेभरे उद्यान, रमणीय पर्वत प्रदेश और लहराते सागर का तट बरबस मुझे अपनी ओर खींच लेते हैं।

सागर के किनारे एक शाम पर निबंध Evening at the Seashore Essay in Hindi

सागर के किनारे एक शाम हिंदी निबंध Evening at the Seashore Essay in Hindi

सैर के लिए आए हुए लोग

पिछले रविवार की शाम को मित्रों के साथ घूमते घूमते मैं सागर के किनारे पहुँच गया। एक और सागर हिलोरें ले रहा था, तो दूसरी ओर मानव महासागर। उछलते कूदते बच्चे रंगबिरंगे कपड़ों में सजे हुए थे। छोटी-छोटी बालिकाएँ उड़ती हुई तितलियों के समान सुंदर लग रही थीं । तट पर बैठे हुए लोग अपनी अपनी बातों में मान थे। युवक युवतियों की फैशनेबल पोशाक और खुली हुई हैंसी सबको अपनी ओर आकृष्ट कर रही थी। कुछ लोग बैठे बैठे ट्रांजिस्टर रेडियो सुन रहे थे। दूर कान में बैठा हुआ एक चित्रकार सागर का सजीव सौदर्य कागज पर अंकित कर रहा था। कुछ लोग खुशी से इधर-उधर टहल रहे थे।

सागर की शोभा

सागर की मनचली लहरें शोर करती हुई इस तरह किनारे के पास आ रही थीं, माना वे दूर क्षितिज का कोई सुखद धरती को संदेश सुनाने आ रही हों । शीतल, मंद पवन से स्पर्श से शरीर और मन दोनों पुलकित हो उठे थे। सूर्य अपनी किरणें लगभग समेट चुका था और उसकी लालिमा से सागर का जल सिंदूरी बन रहा था । सागर में खड़ी नावें बड़ी-बड़ी छाया मूर्तियाँ जैसी लग रही थीं। उनके मल्लाह अपनी सुरीली और ऊँची आवाज में कोई गीत गा रहे थे। आकाश अपनी सुनहरी शोभा बिखेरकर रजनी-रानी के स्वागत की तैयारियाँ कर रहा था। उगता हुआ दूज का चाँद बड़ा मोहक लग रहा था। बड़ा अद्भुत दृश्य था वह !

सूर्यास्त और मेरी खुशी

अपने मित्रमंडल के साथ मैं समुद्रतट पर एक ओर बैठ गया। धीरे धीरे अँधेरा गहरा हो रहा था। बिजली की बत्तियों से सारा मार्ग जगमगा उठा था । नारियल के वृक्षों की छाया डरावनी सी लग रही थी । पंखियों की टोलियाँ जल्दी से दूर जाती हुई नजर आ रही थीं। मेरे गीतकार मित्र ने दो गीत सुनाए। इससे हमारा मन खुशी से भर गया।

मन पर प्रभाव

धीरे-धीरे पवन तेज होने लगा। वातावरण अधिक शीतल हो गया। बच्चों ने घरौदे बनाना छोड़ दिया । बनाए हुए घरौदों को वे पुलकित होकर देख रहे थे, मानो वे उन्हें छोड़कर जाना नहीं चाहते थे। बहुत से बच्चों के हाथों में गुब्बारे थे, जिन्हें वे बड़ी खुशी से हवा में उड़ा रहे थे। किनारे पर बैठे हुए लोग भी अब उठने लगे थे। सबके चेहरे पर ताजगी और खुशी थी। सागर के तट ने उन लोगों में नया उत्साह भर दिया था। हम भी उठे और घर की तरफ लौट पड़े। तरह तरह की बातों में और तट के मनोरम दृश्यों को देखने में शाम यों बीत गई कि पता भी न चला।

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